भारत के बाजार नियामक, SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) ने एक नया स्टॉक मार्केट स्कैम उजागर किया है, जिसमें केतन पारेख, जिनका नाम 2001 के स्टॉक मार्केट घोटाले से जुड़ा हुआ है, फिर से शामिल पाए गए हैं। SEBI के मुताबिक, इस स्कैम में सिंगापुर स्थित ट्रेडर रोहित गोयल और अन्य लोग भी शामिल हैं। इस फ्रंट-रनिंग योजना के तहत कुल 65.76 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की गई, जिसे SEBI ने जब्त कर लिया है।
केतन पारेख का फिर से स्टॉक मार्केट में घोटाला
केतन पारेख, जिन्हें 2008 में 2001 के स्टॉक मार्केट घोटाले के लिए दोषी ठहराया गया था, अब फिर से संदिग्ध गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं। SEBI की जांच में यह पाया गया कि पारेख और उनके सहयोगी सलार ने “नॉन-पब्लिक इंफॉर्मेशन” (NPI) का इस्तेमाल करते हुए एक फ्रंट-रनिंग स्कीम तैयार की थी। इस योजना में एक अमेरिकी फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर (FPI), जिसे “बिग क्लाइंट” कहा गया, के आदेशों का उल्लंघन किया गया था।
पारेख और सलार ने ब्रोकर कंपनियों, जैसे कि नामा वेल्थ मैनेजमेंट लिमिटेड और मोल ओसवेल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के साथ मिलकर ये ट्रेड्स किये। SEBI के मुताबिक, पारेख ने व्हाट्सएप चैट्स, फोन कॉल्स और ब्लूमबर्ग संदेशों के जरिए इन संदिग्ध ट्रेड्स को अंजाम दिया। इन ट्रेड्स के जरिए उन्होंने अपने साथियों को लाभ पहुँचाया और बाजार में अस्थिरता पैदा की।
SEBI की कार्रवाई और अवैध लाभ की जब्ती
SEBI ने इस धोखाधड़ी को “सिस्टमेटिक और प्रोलोंग्ड” (व्यवस्थित और दीर्घकालिक) के रूप में वर्णित किया है, जिससे बाजार की अखंडता को गंभीर खतरा था। SEBI ने पारेख और अन्य आरोपी पार्टियों के खिलाफ 65.7 करोड़ रुपये के अवैध लाभ को जब्त करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही, इन लाभों को निर्धारित बैंकों के ब्याज-bearing खातों में जमा करने का निर्देश दिया गया है।
इस मामले में कई ब्रोकर कंपनियों को “शो-कॉज” नोटिस जारी किया गया है, जिनके पास 21 दिनों के भीतर जवाब देने का समय है। SEBI ने इन कंपनियों से आंतरिक नियंत्रणों को मजबूत करने का भी निर्देश दिया है, ताकि भविष्य में ऐसे उल्लंघनों से बचा जा सके।
केतन पारेख का अतीत और 2001 का स्टॉक मार्केट घोटाला
केतन पारेख भारतीय शेयर बाजार के सबसे कुख्यात नामों में से एक हैं। उन्होंने 2001 में “स्केटन स्टॉक्स” नामक कंपनियों के शेयरों की कीमतों को कृत्रिम तरीके से बढ़ा दिया था, जिनमें उनके खुद के बड़े हिस्से थे। उन्होंने बैंकों से भारी उधारी लेकर इन शेयरों की कीमतों को बढ़ावा दिया, जिससे बाजार में बुल रन चला, लेकिन जब 2001 में बाजार गिरा, तो इन शेयरों का मूल्य गिरकर निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। पारेख को इस घोटाले के लिए 2008 में दोषी ठहराया गया था और उन्हें एक साल की जेल की सजा दी गई थी। इसके साथ ही, SEBI ने उन्हें 14 साल तक स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करने से प्रतिबंधित कर दिया था।
केतन पारेख का यह वापसी करना भारतीय शेयर बाजार के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। SEBI की यह कार्रवाई यह साबित करती है कि भारतीय नियामक अपने कदम बढ़ा रहे हैं और अवैध ट्रेडिंग गतिविधियों को पकड़ने के लिए आधुनिक तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं। निवेशकों को सावधान रहने और बाजार में निवेश करते समय सतर्क रहने की आवश्यकता है।