प्रयागराज महाकुंभ 2025 की भव्यता और दिव्यता का अनुभव हर कोई करना चाहता है। इस बार महाकुंभ में एक विशेष आकर्षण 251 किलो के स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान होने वाले ‘गोल्डन बाबा’ यानी आचार्य महामंडलेश्वर अरुणगिरी महाराज जी हैं। आइए जानते हैं उनके स्वर्ण सिंहासन की विशेषता और इससे जुड़ी आध्यात्मिक मान्यताओं के बारे में।
स्वर्ण सिंहासन की खासियत
यह स्वर्ण सिंहासन आवाहन अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर अरुणगिरी महाराज जी के लिए विशेष रूप से बनाया गया है। इसकी विशेषता यह है कि यह पंच देवताओं की उपस्थिति का प्रतीक है। सिंहासन पर सूर्यदेव, गणपति, माँ दुर्गा, भगवान शिव और स्वयं नारायण की प्रतिमा अंकित है। इसे 51 आचार्यों द्वारा विधिवत पूजन कर स्थापित किया गया है।
स्वर्ण सिंहासन का आध्यात्मिक महत्व
भारत में सोने को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। श्रीकृष्ण ने भी कहा था कि यदि वे किसी धातु में विद्यमान होते हैं, तो वह सोना ही है। इसी मान्यता के आधार पर महाराज जी के भक्तों ने उन्हें स्वर्ण सिंहासन अर्पित किया है।
गोल्डन बाबा का परिचय
आचार्य महामंडलेश्वर अरुणगिरी महाराज जी को उनके भक्तों ने ‘गोल्डन बाबा’ नाम दिया है। हालांकि, वे पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रसिद्ध हैं और अब तक एक करोड़ से अधिक पेड़ लगा चुके हैं। मीडिया में उन्हें ‘गोल्डन बाबा’ के नाम से जाना जाने लगा, जिससे भक्तों ने उन्हें स्वर्ण सिंहासन भेंट करने का निश्चय किया।
क्या स्वर्ण सिंहासन की सुरक्षा चुनौती है?
यह प्रश्न स्वाभाविक रूप से उठता है कि इतना भारी स्वर्ण सिंहासन सुरक्षित कैसे रहेगा? इस पर गोल्डन बाबा का कहना है कि यह मात्र भौतिक वस्तु नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक शक्ति से संरक्षित सिंहासन है। उन्होंने बताया कि तंत्र-मंत्र और साधना द्वारा इसे सिद्ध किया गया है, जिससे कोई भी इसे चुरा नहीं सकता।
कहां कर सकते हैं दर्शन?
यदि आप पहले से स्वर्ण सिंहासन के दर्शन करना चाहते हैं, तो संगम लोअर मार्क, सेक्टर 14, प्रयागराज में इसे देख सकते हैं और प्रणाम कर सकते हैं। यह सिंहासन अपनी तरह का अनोखा और अद्वितीय धार्मिक चमत्कार माना जा रहा है।