हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु ने नए साल के मौके पर एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने प्रदेश में 10,000 दृष्टिहीन बच्चों के लिए कुल मिलाकर ₹4,000 प्रति माह की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। इस कदम से राज्य सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को एक नई दिशा मिलेगी और इन बच्चों के जीवन में सुधार आएगा।
मुख्यमंत्री सुखु ने क्या घोषणा की ?
मुख्यमंत्री सुखु ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले दो वर्षों में ₹28,000 करोड़ का कर्ज लिया है, और इन पैसों का इस्तेमाल पुराने कर्ज को चुकाने के लिए किया गया है।
सुखु ने यह भी कहा कि प्रदेश में लगभग 10,000 दृष्टिहीन बच्चे हैं, जिन्हें हर महीने कुल मिलाकर ₹4,000 दिया जाएगा। यह योजना राज्य के सामाजिक कल्याण कार्यों में एक अहम कदम साबित होगी। इसके तहत बच्चों को सालभर में ₹18,000 करोड़ की मदद मिलेगी, और राज्य सरकार इस योजना पर कुल ₹48,000 करोड़ खर्च करेगी।
डॉ. मनमोहन सिंह के नाम पर संस्थान
सुखु ने एक और महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए बताया कि एक नया संस्थान स्थापित किया गया है, जो अब डॉ. मनमोहन सिंह और भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था के नाम पर जाना जाएगा। यह संस्थान हिमाचल प्रदेश में प्रशासनिक सुधारों और योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए एक अहम भूमिका निभाएगा। यह संस्थान इस राज्य में सार्वजनिक प्रशासन और कल्याण योजनाओं को लागू करने में मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर चर्चा
मुख्यमंत्री ने राज्य की आर्थिक स्थिति पर भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में राज्य को ₹28,000 करोड़ का कर्ज लेना पड़ा है, और इसके साथ ही ₹10,000 करोड़ का ब्याज और ₹8,000 करोड़ का मूलधन भी चुकाना पड़ा है। उन्होंने इस वित्तीय संकट की वजह से केंद्र सरकार से विशेष सहानुभूति की अपील की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार आर्थिक अनुशासन और वित्तीय विवेक के साथ आगे बढ़ने की योजना बना रही है ताकि राज्य की अर्थव्यवस्था को सही रास्ते पर लाया जा सके।
मुख्यमंत्री सुखु के नए साल के तोहफे ने राज्य के दृष्टिहीन बच्चों और समाज के कमजोर वर्ग के लिए राहत प्रदान की है। 4,000 की मासिक सहायता और 77 वर्ष के व्यक्तियों के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना से हजारों परिवारों को मदद मिलेगी। इसके अलावा, डॉ. मनमोहन सिंह के नाम पर संस्थान की स्थापना से प्रदेश में प्रशासनिक सुधारों को नया दिशा मिलेगी। हालांकि, राज्य सरकार को आर्थिक स्थिति से निपटने के लिए और भी ठोस कदम उठाने की जरूरत है, जिससे आने वाले वर्षों में हिमाचल प्रदेश की वित्तीय स्थिति मजबूत हो सके।