IPS Ilma Afroz और कांग्रेस विधायक के बीच विवाद
एक अधिकारी MLA की गाड़ी का चालान करता है, MLA का गुस्सा बढ़ता है, फिर दोनों के बीच टकराव होता है और मामला कोर्ट तक पहुँच जाता है। ऐसा एक मामला हिमाचल प्रदेश में हुआ है। दरअसल, यह घटना 7 जनवरी 2024 से शुरू हुई, जब आईपीएस इलमा अफरोज ने बद्दी की एसपी के रूप में कार्यभार संभाला।
विधायक राजकुमार चौधरी की पत्नी के खनन वाहनों पर चालान
अगस्त 2024 में, इलमा ने कांग्रेस विधायक राजकुमार चौधरी की पत्नी से जुड़ी खनन गतिविधियों से संबंधित वाहनों का चालान किया। इसके बाद विधायक को गुस्सा आया, और दोनों के बीच विवाद बढ़ गया। विधायक ने इलमा को विधानसभा से विशेषाधिकार उल्लंघन का नोटिस भी जारी किया, जिसके बाद आईपीएस अधिकारी इलमा अफरोज के स्थानांतरण का मामला सुर्खियों में आया।
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में इलमा अफरोज की बहाली
शुक्रवार को, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में दूसरे दिन इस मामले की सुनवाई हुई। हाई कोर्ट की बेंच ने इलमा को बद्दी एसपी के पद पर बहाल किया और सरकार को आदेश दिया कि उसे हाई कोर्ट की अनुमति के बिना स्थानांतरित न किया जाए। इस विवाद के कारण, इलमा अफरोज राज्यभर में चर्चा का विषय बन गई हैं।
आईपीएस इलमा अफरोज: एक परिचय
मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी। अब हम आपको बताते हैं कि आईपीएस इलमा अफरोज कौन हैं? इलमा अफरोज उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले की निवासी हैं। उन्होंने 2017 में यूपीएससी परीक्षा पास की थी और अगस्त 2018 में आईपीएस अधिकारी बनीं। उन्हें हिमाचल प्रदेश काडर मिला। 16 महीने के कठोर प्रशिक्षण के बाद उन्होंने अपनी सेवा की शुरुआत की।
इलमा अफरोज का निजी जीवन और शिक्षा
उनके किसान पिता का कैंसर से निधन हो गया था। उनकी मां ने उनका और उनके भाई का पालन-पोषण किया। इलमा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से दर्शनशास्त्र में डिग्री प्राप्त की। उन्हें इंग्लैंड की ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन करने के लिए स्कॉलरशिप मिली। अपनी पढ़ाई के दौरान, इलमा ने पेरिस विश्वविद्यालय में भी अध्ययन किया और साइंस कॉलेज में एक एक्सचेंज छात्रा के रूप में भी अध्ययन किया।
राजकुमार चौधरी के खिलाफ इलमा का कदम
दरअसल, इलमा ने राजकुमार चौधरी की पत्नी से जुड़े खनन वाहनों का चालान किया था, जिससे विधायक चौधरी नाराज हो गए। विधायक चौधरी ने इलमा पर जासूसी का आरोप लगाया और उन्हें शिमला मुख्यालय ट्रांसफर करवा दिया। 6 नवम्बर को मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू और डीसीएसपी से मुलाकात करने के बाद, इलमा 7 नवम्बर को अपनी मां के साथ अवकाश पर चली गईं।
हाई कोर्ट में जनहित याचिका और इलमा अफरोज की वापसी
जब इलमा लौटीं, तो 17 दिसंबर को उन्होंने शिमला मुख्यालय में कार्यभार संभाला, लेकिन उन्हें कोई पद नहीं दिया गया। फिर उन्होंने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की, जिसमें बद्दी एसपी के पद पर उनकी बहाली की मांग की गई। याचिका में आरोप था कि अधिकारियों और राजनीतिज्ञों के दबाव में इलमा को लंबी छुट्टी पर भेजा गया था।
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